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लेखनी प्रतियोगिता -12-May-2022

छोड़ पीछे परेशानियां ज़िन्दगी जिये जाता हूँ।

स्नेह नज़र से देखा जिसने उसका हो जाता हूँ।


सबके चेहरों पर मुस्कान की ख्वाहिश है मेरी,

जिंदगी की राहों में मिले जो, उसे गले लगाता हूँ।


किसी को हराकर जीतने की चाहत नहीं रखता,

सबका साथ पाने की खातिर दौड़ हार जाता हूँ।


ठोकरें खा कर ही बेहतर चलने का हुनर पाया है,

जो लोग गलतियां बताएं, उन्हें ही हमदर्द बनाता हूँ।


एक दिन जरूर इन कदमों में होगी मंजिलें सभी,

बस इसी आशा के साथ निरंतर चलता जाता हूँ।

,

सोने के लिए सिर्फ बिस्तर नहीं, सुकून भी चाहिए,

इसलिए जहाँ आ जाए नींद मुझे, वहीं सो जाता हूँ।


हरपल मुरझाए हुए रहने से भी क्या बदल जाएगा,

कोई दर्द ना जाने इसलिए बेवजह मुस्कुरा जाता हूँ।

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13 Comments

Abhilasha Deshpande

30-Jul-2022 06:59 PM

लाजवाब

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Seema Priyadarshini sahay

14-May-2022 06:49 PM

बेहतरीन रचना

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Haaya meer

13-May-2022 09:58 PM

Amazing

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